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खुरपका और मुंहपका रोग की रोकथाम की कवायद तेज

खुरपका और मुंहपका रोग की रोकथाम की कवायद तेज

बरसात और बदलते मौसम के दौरान पशुओं में फैलने वाले खुरपका-मुंहपका रोग की रोकथाम को पशुपालन विभाग ने कवायद तेज कर दी है। इसके तहत पूरे मथुरा जनपद में आगामी 6 जुलाई तक 7.90 लाख पशुओं को वैक्सीन लगाकर टीकाकरण अभियान को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नितिन गौड़ ने अभियान को हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी हरेन्द्र सिंह जादौन के अनुसार खुरपका-मुंहपका रोग पशुओं में तेजी से फैलने वाला विषाणु जनित रोग है, जिससे पशुओं के उत्पादन एवं कार्यक्षमता पर कुप्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि मथुरा में दूसरे चरण के अभियान को तेज कर दिया गया है। मानसून की बारिश शुरू होने से पहले ही टीकाकरण का लक्ष्य पूरा हो जाना चाहिए। इसके लिए विभाग ने ब्लॉकवार 38 टीमें गठित कीं हैं। --- पिछले वर्ष हुई थी कई पशुओं की मौत, मथुरा। खुरपका-मुंहपका रोग की चपेट में आकर पिछले वर्ष जिलेभर में तीन दर्जन से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई। विभाग का दावा कि इस बार अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन बारिश होने के साथ रोग फैलने का खतरा बन सकता है। इसी को देखते हुए टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया गया है। --- पिछले वर्ष हुई थी कई पशुओं की मौत, सहारनपुर। खुरपका और मुंहपका रोग की चपेट में आकर पिछले वर्ष गांव नवादा तिवाया में बरसात के दौरान करीब 15 पशुओं की मौत हुई थी। इसी तरह बेहट के घाड़ क्षेत्र में भी कई पशुओं की जान गई थी। विभाग का दावा है कि इस बार अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन बारिश होने के साथ रोग फैलने का खतरा बना है। इसी को देखते हुए टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया है। रोग के लक्षण - पशु के मुंह से से अत्यधिक लार का टपकना - जीभ और तलवे पर छालों का उभरना एवं जीभ का बाहर आ जाना - पशु के जुगाली करना बंद कर देना - दूध उत्पादन में करीब 80 प्रतिशत की कमी। - पशुओं का गर्भपात होना - बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने पर मृत्यु हो जाना। ऐसे करें बचाव (खुरपका मुँहपका रोग नियंत्रण) - रोग का पता लगने पर पशु को अन्य पशुओं से तुरंत दूर किया जाए - दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए - प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट घोल पानी मिलाकर धोना चाहिए - चिकित्सकों की सलाह लेकर पशु के तुरंत टीका लगवाने के साथ नियमित उपचार कराएं। - स्वस्थ एवं बीमार पशु को अलग-अलग रखें - बीमार पशुओं को स्पर्श करने के बाद व्यक्ति को सोडियम कार्बोनेट घोल से अपने हाथ पैर धोने चाहिए। क्योंकि, यह रोग मनुष्य भी फैल सकता है। - जिस जगह पर पशु को रखते हों, वहां ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें। - टीकाकरण के दौरान प्रत्येक पशु के लिए अलग-अलग सुई का प्रयोग कराया जाए। - पशु के ठीक हो जाने पर 20 दिन बाद ही उसे दूसरे पशुओं के पास लाना चाहिए।  
लंपी स्किन बीमारी का हरियाणा में कहर, 633 पशुओं की मौत

लंपी स्किन बीमारी का हरियाणा में कहर, 633 पशुओं की मौत

लंपी स्किन बीमारी (Lumpy Skin Disease) अब आए दिन अपना कहर बरपा रही है। इस बीमारी की वजह से हरियाणा और राजस्थान में हालात बद से बदतर हो गए हैं। मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब हरियाणा में लंपी बीमारी की वजह से 633 पशुओं की जानें गई हैं, जो चौंकाने वाली खबर है। सरकार का कहना है कि वे वैक्सिनेशन पर जोर दे रहे हैं, लेकिन जिस तरह से पशु दिन ब दिन दम तोड़ रहे हैं उससे लग रहा है कि इतने प्रयास काफी नहीं हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए राज्य में 20 लाख टीके लगाए जाएंगे। जिसमें 3 लाख उपलब्ध हैं और बाकी 17 लाख का ऑर्डर दिया जाएगा। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अब तक केवल 245249 पशुओं का ही टीकाकरण हुआ है। ऐसे में एक बात साफ होती है कि जितनी तेजी से काम होना चाहिए, उसे देखते हुए हरियाणा सरकार अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है। अगर ऐसा ही रहा तो जल्दी ही राज्य में हालात और भी बदतर हो जाएंगे।


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देशभर के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक 3497 गांव इस विकराल बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। साथ ही 52,544 पशु इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं। अगर आने वाले कुछ दिनों तक तुरत प्रयास नहीं किए जाते, तो मौतों का आंकड़ा और बढ़ेगा। इसके अलावा एक और अफवाह उड़ी है जिससे लोग सकते में हैं। कहा जा रहा है कि लंपी स्किन बीमारी जानवरों से इंसानों को भी लग सकती है। वैसे इस बात तो लेकर राज्य सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है और कहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं है और अफवाहों पर यकीन न करें।


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मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस रोग से पशुओं की मृत्यु होने की आशंका बहुत कम है। और मृत्यु की दर को 1 से 5 प्रतिशत के बीच बताया गया है। कोरोना की तरह इस रोग के लिए भी बताया गया है कि केवल उन पशुओं को खतरा है जो पहले से किसी अन्य बीमारी से बीमार चल रहे हैं। वैसे अगर समय रहते पशुओं को वैक्सीनेशन मिल जाती है, तो पशु 2-3 दिन में ठीक भी हो जाता है। वैसे इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित गौशालाएं हैं, क्योंकि उसमें पशु पास-पास बांधे जाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक अब तक 286 गौशालाओं में 7938 गाय, बछड़े और बैल बीमार चल रहे हैं। जिसमें मृत्यु का आंकड़ा 126 है। सरकार का कहना है कि इस रोग की रोकथाम के लिए आप फॉगिंग करें ताकि मक्खी और मच्छर कम से कम पनप सकें।